मुझे जब भी वक्त मिलता है मैँ एक कविता लिखता हूँ॥ कभी जिँदगी मे डूब के लिखता हूँ कभी जिँदगी से ऊब के लिखता हूँ कभी अपने बचपन पे लिखता हूँ कभी उम्र पचपन पे लिखता हूँ कभी लडकपन पे तो कभी बडप्पन पे लिखता हूँ कभी अपने बाग बगीचे तो कभी अपनी खेती पे लिखता हूँ मुझे जब भी वक्त......
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